कोराना इफेक्ट: झाड़ियों में गुम होता जा रहा बछवाड़ा जंक्शन - आपकी आवाज न्यूज़ चैनल

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शुक्रवार, जुलाई 31, 2020

कोराना इफेक्ट: झाड़ियों में गुम होता जा रहा बछवाड़ा जंक्शन


राकेश यादव:-
बछवाड़ा/बेगूसराय:- लॉकडाउन ने देश के हर हिस्से को प्रभावित किया है। न बाजारों में रौनक रही, न सड़कों पर पहले जैसा चहल पहल। रेलवे स्टेशन भी वीरान पड़े हैं, न आती जाती रेलगाड़ियों का शोर है और न ही यात्रियों की हलचल। ऐसा मंजर इससे पहले न देखा न सुना। बछवाड़ा से बरौनी, समस्तीपुर व हाजीपुर की ओर जाने वाले रेलमार्ग पर गाड़ियों का आवागमन ठप रहने के कारण वीरान पड़े स्टेशन फिलहाल ट्रेन से इंसानी रिश्ते के टूटने की कहानी बयां कर रहे हैं।
बछवाड़ा जंक्शन समस्तीपुर और हाजीपुर के रेलमार्गों को अलग करता है और यहां छोटी-बडी ट्रेनों का ठहराव होता रहा है, लेकिन लॉकडाउन के बाद से जैसे सब कुछ रुक गया है। बीते दिनों इस जंक्शन पर यात्रियों की भीड़ के बीच गुलजार था,  वहीं आज उक्त जंक्शन उपजे जंगलों के कारण झाड़ियों में गुम होने के कगार पर है।
सरकारी अस्पताल में कार्यरत एएनएम शांति मिश्रा ने कहा कि वह बछवाड़ा में रहते हैं और रोज किसी ना किसी ट्रेन से अप—डाउन करते थे लेकिन अब सड़क मार्ग से आना पडता है और बस ही एकमात्र साधन बचा है । जो रेलगाड़ी के अपेक्षा अत्यंत जोखिम भरा तो है ही, किराया भी अधिक भुगतान करना पड़ता है।
बछवाड़ा—हाजीपुर रेल खंड पर कार्यरत  गेटमैन विनीत कुमार  ने कहा, इधर सिंगल लाइन है । दूर तक निहारता हूं, सिर्फ पटरी ही दिखती है । ट्रेनों की आवाजाही बंद है । वैसे भी इस खंड पर ट्रेनों की संख्या काफी कम है लेकिन जो थीं भी, वे भी अब नहीं दिखतीं । फिलहाल फाटक खोलने या बंद करने की स्थिति नहीं होने से लगता है कि जीवन अधूरा सा है ।
पांच प्लेटफार्म का बछवाड़ा जंक्शन आधुनिक स्टेशन बन रहा है । सहायक स्टेशन मास्टर सीताराम साह ने बताया कि दो प्लेटफार्मों का निर्माण कार्य तीब्र गती चल रहा है। वर्तमान में सिर्फ तीन प्लेटफार्म हैं। जहां यात्रियों का नामो निशान गायब है ।
साह ने बताया कि बछवाड़ा रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही ठेठ गीत, अंकुरित चना—मूंग और मीठे में जलेबी की जबर्दस्त मांग रहती थी। लेकिन ट्रेनें बंद होने से सब बेस्वाद हो गया है ।
मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में इंजीनियर रवि कुमार ने बताया कि आम तौर पर बछवाड़ा होकर समस्तीपुर का रूट काफी व्यस्त हुआ करता था लेकिन अब यह भी सुनसान है । रेल पटरियों पर इक्का दुक्का मालगाड़ी हीं गुजर रही हैं, जिनमें एक भी पैसेंजर ट्रेनें व एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल नहीं हैं ।

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