नालंदा डेस्क :-
नालन्दा: अस्थावां नौजवानों द्वारा बुधवार की रात जमा मस्ज़िद अस्थावां में जलसा सीरतुन नबी व सीरते सहाबा का आयोजन धूमधाम से किया गया। जलसे की अध्यक्षता मौलाना काजी मंजूर आलम कासमी काजी ने की। हज़रत मोहम्मद मुस्तुफा सल्ललाहु अलैहि वसल्लम की शान मे आयोजित जलसा सीरतुन नबी आयोजित जलसे की शुरूआत हाफ़िज़ अज़हर ने तिलावते कलाम पाक से की। जलसे मे दूर दराज़ से आए हज़ारो लोगो ने शिरकत की। जलसे को
खिताब करते हुए हज़रत मौलाना अदीब ईमाम गौसिया मस्जिद ने हज़रत मोहम्मद मुस्तुफा सल्लाहु अलैहि वसल्लम मोहम्मद साहब की पाक सीरत बयान की मौलाना ने मोहम्मद साहब और सहाबा की अहमियत बयान करते हुए इस्लाम केे लिए उनके द्वारा किए गए त्याग का ज़िक्र किया। जलसे को हज़रत हाफ़िज़ अख्तर हुसैन ने भी मोहम्मद साहब और सहाबा की पाक सीरत विस्तार से बयान की। जलसे मे शहर की अन्जुमनो के लोगो ने बारगाहे रिसालत मे नातिया कलाम पेश कर नज़रानाए ए अक़ीदत पेश किया।
हाफ़िज़ इकबाल हैदर ने जल्से मे आए मेहमानो का गर्म जोशी से स्वागत किया। जल्से के अन्त मे मौलाना ने मुल्क की तरक्की और खुशहाली के लिए अल्लाह की बारगाह मे हाथ उठा कर दुआएं भी मांगी। इसके बाद जमा मस्ज़िद के इमाम असजाद लतीफी नदवी ने मोहसिन-ए-इंसानियत आखिरी नबी-ए-पाक हजरत (मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) की जिंदगी व सीरत पर रोशनी डालते हुए कहा कि जब-जब दुनिया में बुराईयां बढ़ती है तब-तब अल्लाह इंसानों की रहनुमाई के लिए नबी व रसूल (पैगंबर) भेजता है। नबी-ए-पाक ने ऐसे जमाने में जन्म लिया, जब अरब के हालात बेहद खराब थे।
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