राकेश कु०यादव :~
बछवाडा़ (बेगूसराय):~युं तो बछवाडा़ प्रखंड मुख्यालय स्थित सरकारी अस्पताल अब पीएचसी नहीं रहा , बल्कि उसे अनुमंडल स्तरीय तीस बेड का कम्युनिटी हेल्थ सेन्टर के रूप में अपग्रेड किया जा चुका है । मगर आप अगर अगर अपने बच्चे ,बुजुर्ग , महिलाएँ या अन्य परिजनों को यहाँ ईलाज कराने की सोच रहे हैं , तो सावधान हो जांए । क्योंकि यहाँ मिलने वाली दवाईयाँ बेहतर की जगह बेअसर हो सकती है अथवा जहर भी हो सकती है । इन सारे वाकयों का प्रमाण तब मिला जबर ग्राम कचहरी रानी 01 के पंच ब्यूटी कुमारी अपने दो साल के बेटे कुशाग्र का ईलाज कराने अस्पताल पहुंची । काउंटर से पर्ची कटाने के बाद डाॅक्टर्स चेम्बर में जाकर अपने बच्चे का चेकअप कार्यरत चिकित्सक से करवा कर दवा वितरण काउंटर पर गयी । जहां बच्चे को दी गयी दवाओं का एक्सपायरी डेट 07/2019 था। तत्पश्चात उक्त महिला नें दवा वितरण काउंटर पर कार्यरत फर्मासिस्ट को दवा एक्सपायर होने की बात बताई । इस पर कार्यरत फर्मासिस्ट विफर पडा़ । कहने लगा कि दवाओं के बारे में हम ज्यादा कौन जानता है । यही दवा सही काम करेगी । तत्पश्चात घर जाकर जब दवाओं की खुराक बच्चे को देना शुरू किया तो देर रात बच्चे का शरीर ठंढा़ एवं शरीर में खुजली होने लगी। आनन-फानन में बच्चे का ईलाज नीजी क्लिनिक में कराया गया तब जाकर बच्चे की हालात में सुधार हो सका । मामले को लेकर सीएस बेगूसराय नें कहा कि आम तौर पर दवाईयाँ एक्सपायर होने के बाद रोगों के लिए बेअसर होती है । इसका मतलब यह नहीं की वह जहर हो गया । उपरोक्त बच्चे की हालात खराब होने का कारण दवाओं का रिएक्शन करना हो सकता है ।




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