बिहारशरीफ मोहल्ला गढ़ पर मनाया गया उर्स कादरी तेगी।
बिहारशरीफ-शहर में शनिवार को मनाया गया मोहम्मद जैनुल अबेदीन कादरी तेगी रहमतुल्लाह का उर्स।इस उर्स के मौके पर सज्जाद नशीं गुलाम मोही उद्दीन ने कहा कि सांसारिक मोहमाया से वीरक्त होकर कोई व्यक्ति कठिन तपस्या और निरन्तर साधना कर अपने चरित्र की सारी विरितयों से निव्रित हो जाता है तो ईश्वर की असीम अनुकंपा से भगवत प्राप्ति की राह में अग्रसर हो जाता है और एक दिन उसका प्रिय पात्र बन जाता है ऐसे व्यक्ति को परमात्मा अपनी विशेष आभा से ढांप लेता है।फिर हर किसी को न तो उसकी महानता दिखाई देती है और न ही चरण स्पर्श ही प्राप्त होता है बस जिसपर उसकी कृपा हो जाती है वैसे लोग उनके गन-गान की शक्ति प्रदान कर देता है।इनका जन्म 1915 ई० में उतपन्न हुए जो उस समय इस्लामपुर में सरकारी सेवा में कार्यरत थे उनकी शिक्षा दीक्षा प्रारम्भ में अपने वालिद से हुई फिर बिहारशरीफ के जग प्रसिद्ध मदरसा अज़ीज़िया में हुई जहाँ से वह हाफिज कुरान हुए उन्होंने कुछ दिनों तक जीविकोपार्जन के लिए कलकत्ता में तिजारत किया।उनका कर्मस्थली लगभग बंगाल ही रहा वहीं लोगों की सेवा करते रहे और जनिकरियों में अपनी ज़िंदगी का पचास से पचपन साल लगा दिया आपको बतादें की उनकी शिक्षा ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ थी।
उनकी देहांत 9 जिकदा 2005 ई० और अपने मादरे वतन बिहारशरीफ में हुआ।
इस मौके पर सज्जाद नशी ने बताया कि उर्स के मौके पर शहर और देश के अमन व अमान के लिए दुआ की गई।
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